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सरकार के दस बड़ी गलतियों के कारण आज भारत में कोरोना एक संकट बनकर उभर रहा है। पढ़िए वो दस बड़ी गलती

               हिमांशु शेखर झा (बीए हिस्ट्री ऑनर्स )

थोरा समय लगेगा लेकिन पुरा पढ़ें और अच्छा लगा तो शेयर जरूर करें। कोरोना के भारत आगमन में भारत सरकार की दस बड़ी गलतियां।मैं बार - बार आप सब से यही निवेदन करता हूँ की जिम्मेदार नागरिक बनिए सता और किसी व्यक्ती का भक्त नहीं।भक्त सिर्फ भगवान का बनिए वर्तमान समय में इन्सान का भक्त ना ही बनें तो बेहतर है...खैर इस पोस्ट को पुरा पढ़िए। 

आज कोरोना देश में जिस तरह से बढ़ रहा है उससे हम सब भयभीत है और आज इसी वायरस के भारत आगमन में यहाँ के गवर्नमेंट और पीएम से जो दस बड़ी गलती कहें या लापरवाही कहें हुई है उसे आप सब से साझा कर रहा हूँ।ये मेरे अपने विचार है आपका सहमति भी हो सकता है और असहमति भी दोनों का स्वागत है बस मर्यादित और तार्किक टिप्पणी करें। 

पहली गलती 


कोरोना के बारे में पुरे दुनिया को पहली बार दिसंबर में पता चला जब यह चीन में काफी तेजी से फैला और वहाँ स्थिति बहुत ही चिन्ताजनक हो गया।ऐसे में उस वक्त जापान , सिंगापुर जैसे देशों ने खुद के देश को सुरक्षित करने के लिये प्रयास करने शुरू कर दिये।लेकिन भारत की सरकार बेफिक्र रही और हिंदू - मुसलमान करवाकर वोटों के ध्रुवीकरण में लगा रहा।जबकी जापान और सिंगापुर चीन से नजदीक है और आज निश्चिंत है क्योंकि उन्होंने समय से स्टेप उठा लिये। 

दुसरी गलती 


जनवरी में जब यह वायरस चीन से निकलकर दुसरे देशों में  फैलना शुरू हुआ तब भी हमारे देश की सरकार लापरवाह बना रहा जबकी डब्ल्यूएचओ ने भी इसको लेकर सभी देशों को अलर्ट कर दिया था। लेकिन तब हमारे देश की सरकार और उनके नेता भारत में सांप्रदायिकता का जहर घोलने में व्यस्त थे और दिल्ली की सड़को पर भारत - पाकिस्तान मैच की तैयारी कर रहें थे।जबकी उस वक्त सरकार को एक जिम्मेदार पीएम को इसको लेकर सचेत हो जाना चाहिऐ था। 

तीसरी गलती 


इस वायरस ने जनवरी जाते - जाते खुद के भयानक रूप को विश्व के सामने दिखा दिया। सभी देश के पीएम अपने लोगों को बचाने के लिये तत्पर हो उठे लेकिन हमारे पीएम का इस तरफ अभी तक ध्यान भी नहीं गया क्योंकि प्रचार मंत्री दिल्ली चुनावों को लेकर बहुत बिजी चल रहें थे। उस वक्त भी अगर सरकार अलर्ट हो जाती तो देश में कोरोना का एक भी केस नहीं आ पाता और हम सुरक्षित होते। 

चौथी गलती 


उपरोक्त तीन गलतियों ने कोरोना के भारत आगमन का मार्ग प्रशस्त किया और 30 जनवरी को भारत में कोरोना का पहला केस सामने आया।अब इस सरकार को इसके तेजी से बढ़ने के शैली को देखते हुये इसको यही तक सीमित रखने के प्रयास कर देने चाहिऐ थे लेकिन नहीं ...लापरवाह सरकार ने इसे हल्के में लिया और आज आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है।

पांचवी गलती 


एक व्यक्ती जो इस देश का नागरिकता है , विपक्ष का नेता है और एक संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधि है। वो प्रधानमंत्री से आग्रह करता है की विश्व में जो कोरोना का विपदा है उससे भारत को सुरक्षित करें ...यह भारत के लिये अच्छा नहीं होगा अगर ये यहाँ फैलता है तो । लेकिन अहंकारी पीएम उनके बातों को इग्नोर कर करोडों भारतीयों के जान जोखिम में डाल देता है।राहुल गाँधी ने 12 फरवरी के बाद भी भारत सरकार और स्वास्थ मंत्री को लगातार आगाह करते रहें लेकिन उनके बातों को इग्नोर करते रहें पीएम और नतीजा आज सबके सामने है।स्वास्थ मंत्री कितने असंवेदनशील है की राहुल गाँधी के ट्विट को लेकर कहते है की वो लोगों को डरा रहें है ...माने अभी जो आप लोगों को घर में बंद कर दिये है इससे तो लोग बहुत खुश है ...बिल्कुल ही नहीं डरे है। 


छठी गलती 


इटली , अमेरिका , चीन इन देशों में विदेशी विजिटर्स की संख्या सर्वाधिक होता है और ऐसे में इस वायरस का इन देशों में फैलने का अधिक खतरा है ये मेरे जैसे कम दिमाग वाले भी समझ सकते है फिर किस आधार पर अमेरिकी राष्ट्रपति के किये लोगों के भीड़ जुटाने का काम पीएम द्वारा किया गया ? क्या ट्रंप भारत अकेले आएँ ? नहीं ना उनके साथ एक बड़ा टीम आता है। आखिर इतना बड़ा रिस्क अमेरिकी राष्ट्रपति के लिये क्यों लिया गया ? वो भी अपने करोडों भारतीयों के जान जोखिम में डालकर ।

सातवीं गलती 


डब्ल्यूएचओ जनवरी से ही चिल्ला - चिल्ला कर सभी देशों को इससे सतर्क रहने और अपने स्वास्थ्य संबन्धी चीजों को दुरुस्त रखने और इससे होने वाली परेशानियों से तैयार रहने को कह रहा है।क्या डब्ल्यूएचओ की आवाज भारत तक नहीं आ सका जो हमारी सरकार का नींद मध्य मार्च तक भी नहीं खुला और 13 मार्च को स्वास्थ मंत्रालय का बयान आता है की कोरोना से भारत में कोई मुश्किल नहीं होगा।और भाजपाइ की सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठे रहता है।क्या आपको नहीं लगता की केंद्र ने इस संबंध में बहुत ज्यादा ही देर कर दिया ? 

आठवीं गलती 


उन विदेश में फँसे भारतीयों को देश लाकर किया गया।हजार को बचाने में आपने करोडों के जान को आज मुसीबत में डाल दिया। विदेश में फँसे भारतीयों को अगर लाया भी गया तो कुछ दिन उनके अलग रहने का भी प्रबंध कर देते उन्हें उनके घर में रखकर कितनी बड़ी लापरवाही किया गया ...आपको बता दु उन्हीं विदेश में फँसे लोगों में से से एक सैन्य आर्मी के पिता से उस आर्मी में यह वायरस फैला है। 

नौवीं गलती 


लॉकडाउन से पहले इसकी तैयारी नहीं किया गया और इतना बड़ा डिसीजन देश के लोगों पर थोप दिया गया।जबकी इसकी तैयारी के किये सरकार के पास बहुत ज्यादा समय था लेकिन विशाल बहुमत के घमंड में चूर इस सरकार को किसी के बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है और बस अपना मनमर्जी इस देश पर थोप कर देश को खोखला किया जा रहा है।13 मार्च तक सरकार को ये कोई चिंता का कारण नहीं लगता और फिर अचानक से एक सप्ताह के अंदर ही जनता कर्फ्यू लगाकर थाली - ताली पिटवाया जाता है ताकि हमारे घरों से लक्ष्मी भागे और दरिद्रता का वास हो ...और यही होने वाला भी है। 

दसवीं गलती 


ये गलती अब किया जा रहा है जब कोरोना जाँच के स्पीड को तेजी से बढाया नहीं जा रहा है।जहाँ अमेरिकी और ब्रिटेन प्रति मिलियन क्रमशः 2600 और 1900 टेस्ट हो रहा है वहीं भारत में यह आंकड़ा 32 पर है।इस स्पीड से अगर जाँच हुई तो एक - दो महीने का लॉकडाउन नाकाफी होगा बल्कि हमारे देश के आबादी के हिसाब से सालभर का लॉकडाउन भी काफी नहीं होगा। अभी जरूरी है की सरकार कम पैसों पर जाँच की सुविधा उपलब्ध करवाएँ ताकि गरीब - मजदुर भी जाँच करवा सकें। 

हिमांशु , दिल्ली से 





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