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चीन वर्सेज अमेरिका ।कोरोना के आड़ में वैश्विक लीडर बनने की लड़ाई।

China Vs USA  अमेरिका और चीन के बीच जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा है वो किसी से छुपा नहीं है।दोनों ही देश एक दुसरे को व्यापार से लेकर सैन्य मामलों में एक दुसरे से कड़ी प्रतिस्पर्धा रखते है हालांकि इस प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिये कुछ दिन पहले इन दोनों महाशक्तियों के बीच एक ट्रेड डील भी हुआ लेकिन उस ट्रेड डील का कोई ज्यादा प्रभाव नहीं दिखा।अमेरिका और चीन एक दुसरे को वैश्विक स्तर पर नीचा दिखाने का हरसंभव प्रयास करते है।अभी तक अगर देखें तो अमेरिका कहीं ना कहीं चीन से आगे रहा है लेकिन चीन हार मानने वालों में से नहीं है वो हर वक्त फिराक में रहता है की कैसे अमेरिका को पीछे छोड़ा जाए। अभी पुरी दुनिया कोरोना नाम के वायरस से जूझ रहा है लेकिन अमेरिका और चीन पर्दे के पीछे खुद को शक्तिशाली बनाने में लगा हुआ है।इस खतरनाक वायरस का केंद्र तो चीन का वुहान शहर रहा है लेकिन चीन इस वायरस को फैलाने का आरोप अमेरिका पर लगा रहा है।चीन का कहना है की यह अमेरिकी मिलिट्री का बायो वेपेन है जो चीन को तबाह करने के उद्देश्य से बनाया गया है।वही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप सहित तमाम बड़े अमरीकन नेता इसे कोरोना वायरस

अगर राहुल गाँधी जी के बातों पर गौर किया जाता तो आज भारत इतनी बड़ी मुसीबत में नहीं होता।

इस व्यक्ती को पप्पू कहते हुये आपको शर्म आनी चाहिये। देश का इकलौता नेता जिसने आपकी चिंता करना सबसे पहले शुरू किया और अगर उस वक्त इनका सुना गया होता तो आज भारत सुरक्षित होता आप सुरक्षित होते । राहुल गाँधी :Pic Source Google  कुछ लोग जिन्हें 'पप्पू' का सम्बोधन देते आए हैं ये उनके ट्वीट है तारीख पर भी ध्यान दीजिएगा ....... -कोरोना वायरस पर राहुल गांधी के कुछ ट्वीट 31 जनवरी : चीन में कोरोनावायरस ने सैकड़ो लोगों की जान ली है। मेरी संवेदनाएं पीड़ितों के परिवार और उन लाखों लोगों के साथ हैं जो वायरस को फैलने से रोकने के लिए क्वारंटाइन कर दिए जाने को मजबूर हैं। उन्हें इस अजीब मुश्किल से निकलने की शक्ति और हिम्मत मिले। 12 फरवरी कोरोना वायरस हमारे लोगों और हमारी अर्थव्यवस्था को बेहद गंभीर खतरा है। मेरी समझ है कि सरकार इस खतरे को गंभीरता से नहीं ले रही है। समय पर कार्रवाई महत्वपूर्ण है। 3 मार्च हरेक राष्ट्र के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब नेताओं की जांच होती है। सच्चा नेतृत्व वायरस द्वारा भारत और इसकी अर्थव्यवस्था पर आने वाले विशाल संकट को टालने पर पूरी तरह केंद्रित रहेगा

आखिर एक ही देश के नागरिकों के लिये सरकार की दोहरी सोंच क्यों ?

दिल्ली , मुंबई सहित देश के तमाम बड़े शहरों में बिहार - यूपी के लाखों की संख्या में ऐसे लोग रहते है जिनका पेशा पंक्चर बनाना , जूते पॉलिश करना , कंस्ट्रक्शन लाइन में लेबर का काम , रिक्शा - ऑटो चलाना , गोदामों में डेली बेजेज पर काम करना इत्यादि है।इस पेशे में कोई मासिक सैलरी नहीं मिलता बल्कि दैनिक कमाई पर ये अपना घर - परिवार चलाते है। एक तस्वीर है जब मोदी साहब ने रात में आकर अचानक से लोकडाउन या कर्फ्यू लगाने की घोषणा कर दिया फिर ये मजदुर मजबूरीवश पैदल ही अपने घर के लिये चल पड़े और दुसरी तस्वीर में है उन भारतीयों की जो कोरोना प्रभावित देशों में फँसे हुए थे जिन्हें भारत सरकार ने वायुयान के माध्यम से भारत लाया और इसी के साथ भारत में कोरोना भी अधिक संख्या में आया। पैदल जाते मजदुर  प्लेन से आते भारतीय देखिए पहले तो इस बात को समझिए की ये कोरोना भारत में अचानक से नहीं आ गया बल्कि दिसंबर से ही यह वैश्विक स्तर में चर्चा में है और भारत में भी पहला केस 30 जनवरी को ही आया।भारत सरकार के पास इस समस्या से निपटने और इसको रोकने हेतु पर्याप्त समय था लेकिन वो समय सरकार ने दिल्ली चुनाव , दिल