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मार्च, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कोरोना वायरस । भारत अभी कौनसे स्टेज में है ।

विश्व अभी एक भयंकर महामारी से जूझ रहा है।चीन से निकला कोरोना वायरस ने पुरे दुनिया का नींद उड़ा रखा है।इस वायरस ने अबतक लाखों हजारों लोगों को काल के गाल में भेज दिया है और लाखों लोग इससे संक्रमित है।हर जगह त्राहिमाम की स्थिति हो चुका है और भारत भी इस महामारी से अब अछूता नहीं है।इटली के पर्यटकों से कोरोना का भारत में आगमन हुआ और वर्तमान में भारत में संक्रमित लोगों की संख्या 1000 को पार कर चुका है और अबतक 20 से अधिक लोगों की मृत्यु भी हो चुका है।अभी सबके मन में यही प्रश्न आ रहा है भारत में कोरोना अभी किस स्टेज में है और इस प्रश्न का उत्तर जानने से पहले यह समझना आवश्यक है की ये स्टेज होता क्या है ?  कोरोना वायरस के मुख्यतः चार स्टेज है और इसके कोई विशेष नाम नहीं है बल्कि स्टेज 1,2,3,4 के नाम से ही जानते है।अब इन चारों स्टेज के बारे में समझते है।  स्टेज एक  इस स्टेज में विशेष आयातित मामले होते है जो दुसरे देशों से आए हुये पर्यटक और यात्रियों में पाए जाते है। इस स्टेज में वायरस की पहचान और परीक्षण किया जाता है।  स्टेज 2 इस स्टेज में जो विदेश से आए व्यक्ती है उनसे उ

देश संकट में और मंत्री जी निश्चिंत होकर लुडो खेल रहें है

इस कोरोना के विपदा ने आपको भी सोचने और समझने का एक मौका दिया है की जिस पार्टी को आपने अपने माथे बिठाया और देश की गद्दी सौपा उस पार्टी के नेता आपके लिये क्या कर रहें है या कितने चिंतित है।मैं एक -कर सबके बारे में यहाँ आपको अपडेट दूँगा। pic source twitter  अभी देश में जो समस्या है वो एक वायरस का है जिसका नाम कोरोना है और यह लोगों के स्वास्थ पर असर डालता है और जाहिर सी बात है की ऐसे समय में सर्वाधिक सक्रिय स्वास्थ्य मंत्रालय और स्वास्थ मंत्री को होना चाहिऐ हालांकि किसी आपदा में सक्रियता तो सबकी बढ़नी चाहिऐ।इस तस्वीर को देखिए और समझिए की जिस स्वास्थ मंत्री को अभी आपकी चिंता करनी चाहिऐ वो निश्चिंत होकर लुडो खेल रहें है।यह निश्चिंतता बहुत कुछ बयां कर रहा है , यह बता रहा है की जनता से हमें बस चुनाव के वक्त मतलब रखना है।कुछ भावनात्मक बातें होंगी , हिंदू - मुसलमान होगा , भारत - पाकिस्तान होगा और देश के लोग हमें वोट करेंगे ही।यह निश्चिंतता आप पर भी सवाल खड़ा करता है की आप जब वोट करते है तो क्या सोचकर वोट करते है और आपको क्या प्राप्त होता है। मैं ट्विटर पर काफी सक्रिय रहता हूँ और अन्य देश

चीन वर्सेज अमेरिका ।कोरोना के आड़ में वैश्विक लीडर बनने की लड़ाई।

China Vs USA  अमेरिका और चीन के बीच जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा है वो किसी से छुपा नहीं है।दोनों ही देश एक दुसरे को व्यापार से लेकर सैन्य मामलों में एक दुसरे से कड़ी प्रतिस्पर्धा रखते है हालांकि इस प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिये कुछ दिन पहले इन दोनों महाशक्तियों के बीच एक ट्रेड डील भी हुआ लेकिन उस ट्रेड डील का कोई ज्यादा प्रभाव नहीं दिखा।अमेरिका और चीन एक दुसरे को वैश्विक स्तर पर नीचा दिखाने का हरसंभव प्रयास करते है।अभी तक अगर देखें तो अमेरिका कहीं ना कहीं चीन से आगे रहा है लेकिन चीन हार मानने वालों में से नहीं है वो हर वक्त फिराक में रहता है की कैसे अमेरिका को पीछे छोड़ा जाए। अभी पुरी दुनिया कोरोना नाम के वायरस से जूझ रहा है लेकिन अमेरिका और चीन पर्दे के पीछे खुद को शक्तिशाली बनाने में लगा हुआ है।इस खतरनाक वायरस का केंद्र तो चीन का वुहान शहर रहा है लेकिन चीन इस वायरस को फैलाने का आरोप अमेरिका पर लगा रहा है।चीन का कहना है की यह अमेरिकी मिलिट्री का बायो वेपेन है जो चीन को तबाह करने के उद्देश्य से बनाया गया है।वही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप सहित तमाम बड़े अमरीकन नेता इसे कोरोना वायरस

अगर राहुल गाँधी जी के बातों पर गौर किया जाता तो आज भारत इतनी बड़ी मुसीबत में नहीं होता।

इस व्यक्ती को पप्पू कहते हुये आपको शर्म आनी चाहिये। देश का इकलौता नेता जिसने आपकी चिंता करना सबसे पहले शुरू किया और अगर उस वक्त इनका सुना गया होता तो आज भारत सुरक्षित होता आप सुरक्षित होते । राहुल गाँधी :Pic Source Google  कुछ लोग जिन्हें 'पप्पू' का सम्बोधन देते आए हैं ये उनके ट्वीट है तारीख पर भी ध्यान दीजिएगा ....... -कोरोना वायरस पर राहुल गांधी के कुछ ट्वीट 31 जनवरी : चीन में कोरोनावायरस ने सैकड़ो लोगों की जान ली है। मेरी संवेदनाएं पीड़ितों के परिवार और उन लाखों लोगों के साथ हैं जो वायरस को फैलने से रोकने के लिए क्वारंटाइन कर दिए जाने को मजबूर हैं। उन्हें इस अजीब मुश्किल से निकलने की शक्ति और हिम्मत मिले। 12 फरवरी कोरोना वायरस हमारे लोगों और हमारी अर्थव्यवस्था को बेहद गंभीर खतरा है। मेरी समझ है कि सरकार इस खतरे को गंभीरता से नहीं ले रही है। समय पर कार्रवाई महत्वपूर्ण है। 3 मार्च हरेक राष्ट्र के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब नेताओं की जांच होती है। सच्चा नेतृत्व वायरस द्वारा भारत और इसकी अर्थव्यवस्था पर आने वाले विशाल संकट को टालने पर पूरी तरह केंद्रित रहेगा

गरीबी को लेकर वित मंत्री के आंकड़े ने दिखा दिया भाजपा का हकीकत ।

दैनिक भास्कर एक प्रतिष्ठित अखबार है तो जाहिर सी बात है की कोई गलत खबर नहीं प्रसारित करेगा। निश्चित रूप से गरीबी का यह आंकड़ा वित मंत्री अपने मुखारबिंदु से निकाली होंगी।वैसे इस खबर की प्रामाणिकता भी कोई ना कोई रिसर्चर कल तक प्रकाशित कर ही देंगे तत्काल आप इसपर मेरे टिप्पणी को पढ़ें। 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और 2019 में पुनः भाजपा ने जीतकर सरकार बनाने में सफलता प्राप्त किया।2019 के चुनाव में भाजपा नेताओं ने अपने हर भाषण में विकास - विकास और विकास का ही सिर्फ वर्णन किया।2014 में सरकारी आंकड़ा है की अपने देश में कुल गरीबों की संख्या टोटल जनसंख्या का 24% था।2011 जनसंख्या के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या 133 करोड़ के लगभग है और इसका 24% लगभग 32 करोड़ होता है।इस अखबार के इस खबर के अनुसार जो की वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने आंकड़ा दिया है की देश में अभी 80 करोड़ गरीब है। मतलब पिछले छः वर्षों में 48 करोड़ गरीबों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।अब अगर गरीबों की संख्या बढ़ा है तो फिर ये कैसा विकास इस देश में हुआ है ? Pic source - dainik bhasakr  यह सरकार अपने हर नाकामियों का आंकड़ा छुपात

आखिर एक ही देश के नागरिकों के लिये सरकार की दोहरी सोंच क्यों ?

दिल्ली , मुंबई सहित देश के तमाम बड़े शहरों में बिहार - यूपी के लाखों की संख्या में ऐसे लोग रहते है जिनका पेशा पंक्चर बनाना , जूते पॉलिश करना , कंस्ट्रक्शन लाइन में लेबर का काम , रिक्शा - ऑटो चलाना , गोदामों में डेली बेजेज पर काम करना इत्यादि है।इस पेशे में कोई मासिक सैलरी नहीं मिलता बल्कि दैनिक कमाई पर ये अपना घर - परिवार चलाते है। एक तस्वीर है जब मोदी साहब ने रात में आकर अचानक से लोकडाउन या कर्फ्यू लगाने की घोषणा कर दिया फिर ये मजदुर मजबूरीवश पैदल ही अपने घर के लिये चल पड़े और दुसरी तस्वीर में है उन भारतीयों की जो कोरोना प्रभावित देशों में फँसे हुए थे जिन्हें भारत सरकार ने वायुयान के माध्यम से भारत लाया और इसी के साथ भारत में कोरोना भी अधिक संख्या में आया। पैदल जाते मजदुर  प्लेन से आते भारतीय देखिए पहले तो इस बात को समझिए की ये कोरोना भारत में अचानक से नहीं आ गया बल्कि दिसंबर से ही यह वैश्विक स्तर में चर्चा में है और भारत में भी पहला केस 30 जनवरी को ही आया।भारत सरकार के पास इस समस्या से निपटने और इसको रोकने हेतु पर्याप्त समय था लेकिन वो समय सरकार ने दिल्ली चुनाव , दिल